Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास - जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास - जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

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Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

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Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास - जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास - जन्म और परिवार

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Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास - जन्म और परिवार

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Jharkhand Foundation Day Wishes , Quotes , Essay | Jharkhand Sthapna Diwas

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Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास - जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas | बिरसा मुंडा का इतिहास – जन्म और परिवार

Birsa Munda Diwas (बिरसा मुंडा)

“Birsa Munda Diwas” विशेषकर झारखंड राज्य में हर वर्ष 15 जून को मनाया जाता है, जिसे बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन बिरसा मुंडा के योगदान और उनके महत्वपूर्ण कार्यों की स्मृति में मनाया जाता है।

15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस है. झारखंड की स्थापना 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग करके की गई थी।  झारखंड में कई जगहें हैं जिनका नाम बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है. धनबाद में पूर्व बिरसा मुंडा पार्क का नाम भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है।भगवान बिरसा मुंडा का जन्म उलिहातु में हुआ था। यह भगवान बिरसा मुंडा का जन्म स्थान है। यह राज्य की राजधानी रांची से 80 किमी दूर स्थित है | यह लेख झारखंड राज्य के इतिहास के बारे में विस्तार से चर्चा करता है। यह आदिवासी आंदोलनों की पृष्ठभूमि और जानकारी देता है। लेख का अगला भाग झारखंड स्थापना दिवस उद्धरण, झारखंड स्थापना दिवस की शुभकामनाएं, झारखंड स्थापना दिवस निबंध।

बिरसा मुंडा और “बिरसा मुंडा दिवस” के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

  1. बिरसा मुंडा:
    • बिरसा मुंडा का जन्म 15 जून 1875 को उलिहातु, बिहार (जो अब झारखंड में है) में हुआ था।
    • उनका जन्म मुंडा जनजाति से था और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  2. मुंडा विद्रोह के नेता:
    • बिरसा मुंडा ने मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसे उलगुलान या तामार विद्रोह भी कहा जाता है, जो ब्रिटिश सरकार और भूमि स्वामीयों के खिलाफ हुआ।
    • इस आंदोलन का उद्देश्य मुंडा राज स्थापित करना था, जहां जनजाति स्वशासन में निर्णय कर सकती थी।
  3. मुंडा दिवस का महत्व:
    • बिरसा मुंडा दिवस का मनाना उनके समर्पण और जनजाति के लिए उनके संघर्ष को साझा करने का एक माध्यम है।
    • यह एक दिन है जब लोग उनकी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके योगदान को समर्थन करते हैं, जो उन्होंने अपने जनजाति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए किया।
  4. समर्पितता की स्मृति:
    • बिरसा मुंडा दिवस एक अवसर है जब लोग उनकी समर्पितता और उनके आदर्शों को याद करते हैं और उनके साथ मिलकर उनकी दृढ़ संकल्पना को प्रेरित करते हैं।

इस प्रकार, बिरसा मुंडा दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो लोगों को उनके साहस, समर्पण, और जनजाति के लिए किए गए सेवा में याद दिलाता है।

History of Birsa Munda (बिरसा मुंडा का इतिहास):

बिरसा मुंडा का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण धारा में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में चमकता है। उन्होंने अपने समय में जनजातियों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और आंदोलनों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उठे।

  1. जन्म और परिवार:
    • बिरसा मुंडा का जन्म 15 जून 1875 को उलिहातु, बिहार (जो अब झारखंड में है), में हुआ था।
    • उनका परिवार कृषि के क्षेत्र में था और वह अपनी समुदाय की रीति-रिवाज़ और जीवनशैली के बारे में सीख रहे थे।
    • बिरसा मुंडा ने भूमि स्वामीयों और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आंदोलन चलाया। उनका उद्देश्य अपनी जनजाति को उनके अधिकारों में मदद करना और स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
  2. मुंडा विद्रोह:
    • बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजाति आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • उन्होंने मुंडा विद्रोह या उलगुलान की भी नेतृत्व किया, जो भूमि स्वामीयों और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक जनजाति आंदोलन था।
    • उनका नेतृत्व मुंडा विद्रोह या उलगुलान के दौरान भूमि स्वामीयों ने ब्रिटिश शासन और बड़े ज़मींदारों के खिलाफ संघर्ष किया।
    • यह आंदोलन जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए था और उन्होंने भूमि स्वामीयों को ज़मींदारों की अत्यधिक शुल्क और उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट किया।
  3. मुंडा विद्रोह की उद्देश्य:
    • बिरसा मुंडा ने अपने आंदोलन के जरिए जनजाति के अधिकारों और भूमि संरक्षण की मांग की और उन्होंने एक स्वतंत्र जनजाति राज्य की मांग की।
    • उनका उद्देश्य यह था कि भूमि का हकदार व्यक्ति जनता का सर्वोपरि नेतृत्व करें और अपनी आत्मनिर्भरता का संस्थान स्थापित करें।
  4. कृष्णगड़:
    • उनका प्रमुख केंद्र कृष्णगड़ था, जो उनके आंदोलन का मुख्य केंद्र था। वहां उन्होंने भूमि स्वामीयों और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अभिवादन और संगठन किया।
    • उनका मुख्य केंद्र कृष्णगड़ था, जहां उन्होंने भूमि स्वामीयों की सभा और आंदोलन को संगठित किया।
    • उन्होंने यहां से भूमि स्वामीयों को एकजुट किया और उन्हें उत्पीड़न और अन्य अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
  5. बंदरों के खिलाफ आंदोलन:
    • उन्होंने बंदरों के खिलाफ भी एक आंदोलन चलाया जिसमें वह लोगों को बंदरों की बुराइयों के प्रति सचेत करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
    • उन्होंने बंदरों के खिलाफ एक और आंदोलन चलाया, जिसमें उन्होंने लोगों को बंदरों की बुराइयों के प्रति जागरूक किया और उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित किया।
  6. मृत्यु:
    • बिरसा मुंडा की आधिकारिक तौर पर मृत्यु 9 जून 1900 को हुई थी जब वह हजारीबाग जेल में थे। उनकी मृत्यु के पीछे विभिन्न कारण थे, लेकिन उनकी स्मृति जीवित है और उन्हें भारतीय जनजातियों के साथी और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया जाता है।
    • उनका प्रमुख केंद्र कृष्णगड़ में उनकी गिरफ्तारी के बाद उनकी स्वतंत्रता संग्राम ने उन्हें हजारीबाग जेल में ले जाया गया और वहां उनकी मृत्यु हुई।
    • उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें भारतीय जनजातियों के साथी और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया गया और उनकी स्मृति आज भी जीवित है जो उनकी महानता को याद दिलाती है।

 

Frequently Asked Questions

आदिवासी भगवान कौन थे?

बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा जयंती कब है 2023 में?

Birsa Munda Jayanti 15th November ko hota hai

बिरसा मुंडा बलिदान दिवस कब है?

बिरसा मुंडा बलिदान दिवस 9 जून को है

बिरसा मुंडा का नारा क्या है?
रानी का राज ख़त्म करो, हमारा साम्राज्य शुरू करो
बिरसा मुंडा की मृत्यु कहाँ हुई थी?
9 June 1900, in Ranchi Central Jail, Ranchi

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References